250+हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ | lokoktiya in hindi | hindi grammer

लोकोक्ति शब्द लोक+उक्ति के योग से बना है विश्व की सभी भाषाओं में लोकोक्तियों का प्रचलन है लोक में पीढ़ियों से प्रचलित इन उक्तियों में अनुभव का सार और व्यावहारिक नीति का निचोड़ होता है

अनेक लोकोक्तियों के निर्माण में किसी घटना विशेष का विशेष योगदान होता है और उसी तरह की स्थिति परिस्थिति के समय उस लोकोक्ति का प्रयोग होता है

लोकोक्ति का अपर रूप कहावत भी है यह अपने आप में पूर्ण होती है और इसका रूप हमेशा एक सा ही रहता है

हिंदी लोकोक्तियाँ
हिंदी लोकोक्तियाँ

अ, आ

आधा तीतर आधा बटेरअनमेल मिश्रण/ बेमेल चीजें जिनमें सामंजस्य का अभाव हो
आये थे हरि भजन को ओपन लगे कपासउद्देश्य से भटक जाना/श्रेष्ठ काम करने की बजाय तुच्छ कार्य करना/कार्य विशेष की उपेक्षा कर किसी अन्य कार्य में लग जाना
आप भला जग भलाअपने अच्छे व्यवहार से सब जगह आदर मिलता है
आगे कुआं पीछे खाईदोनों/सब ओर से विपत्ति में फंसना
आंख का अंधा नाम नयन सुखगुणों के विपरीत नाम होना
आम के आम गुठली के दामहर प्रकार का लाभ/एक काम से दो लाभ
आ बैल मुझे मारजानबूझ कर मुसीबत में फंसना
अंत भला तो सब भलाकार्य का अन्तिम चरण ही महत्वपूर्ण होता है
अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपनों को देयस्वार्थी व्यक्ति अधिकार पाकर अपने लोगों की सहायता करता है
अपनी-अपनी डपली अपना-अपना रागतालमेल का अभाव/सबका अलग-अलग मत होना/एकमत का अभाव
अपना हाथ जगन्नाथअपना काम अपने ही हाथों ठीक रहता है
अक्ल बड़ी या भैंसशारीरिक बल से बुद्धि बल श्रेष्ठ होता है
अन्धा क्या चाहे दो आंखेंबिधा प्रयास वांछित वस्तु का मिल जान
अन्धेर नगरी चौपट राजाप्रशासन की अयोग्यता से सर्वत्र अराजकता आ जाना
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता हैअपने क्षेत्र में कमजोर भी बलवान बन जाता है
अन्धे के आगे रोवै अपने नैना खावैनिर्दय व्यक्ति या अयोग्य व्यक्ति से सहानुभूति की अपेक्षा करना व्यर्थ है
अब पछताये होती क्या,जब चिड़िया चुग गई खेतअवसर निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकताअकेला व्यक्ति शक्ति हीन होता है
अधजल गगरी छलकते जायओछा अदमी अधिक इतराता है
अंधों में काना राजामूर्खों में कम ज्ञान वाला भी आदर पाता है
अंधे के हाथ बटेर लगनाअयोग्य व्यक्ति को बिना परिश्रम संयोग से अच्छी वस्तु मिलना
अंधा पीसे कुत्ता खायमुर्खौं की मेहनत का लाभ अन्य उठाते हैं असावधानी से आयोग को लाभ
अपना रख,पराया चखअपना बचाकर दूसरों का माल हड़प करना
अपनी करनी पार उतरनीस्वंय का परिक्श्रम ही काम आता है
आस्तीक का सांप होनानिकट के व्यक्ति का विश्वासघाती होना
आसमान से गिरा खजूर में अटकाएक आपत्ति के बाद दूसरी आपत्ति का आ जाना
आग लगति झोपड़ा जो निकले सो लाभव्यापक विनाश में जो कुछ बचाया जा सकता है वह लाभ ही है
आधी छोड़ एक को ध्यावे, आधी मिले न सारी पावेलोभ में सहज रूप से उपलब्ध वस्तु को भी त्यागना पड़ सकता है
गेहूं के साथ घुन भी पिसता हैदोषी की संगति से निर्दोष भी दंडित हो जाता है
अरहर की पट्टी और गुजरात तालाअनमेल प्रबंध व्यवस्था
आंखं बची और माल यारों काअपने सामान से थोड़ा-सा भी ध्यान हटा‌कि समान की चोरी हो सकती है
अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोषहम मे ही कमजोरी हो तो बताने वालों का क्या दोष
अपनी पगड़ी अपने हाथअपने सम्मान को बनाए रखना अपने ही हाथ है
आंख का अंधा गांठ का पूरामूर्ख किंतु संपन्न
अंधे की लकड़ीएक मात्र सहार
अटका बनिया देय उधारस्वार्थी और मजबूर व्यक्ति अनचाहा कार्य भी करता है
अक्ल का अंधा/अक्ल का दुश्मन होनामहामूर्ख होना

इ ई

इन तिलों में तेल नहींकिसी भी लाभ की संभावना न होना
इमली के पात पर दंड पेलनासीमित साधनों से बड़ों कार्य करने का प्रयास करना
ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छायासंसार में व्याप्त भिन्नता

उ ऊ

ऊंट की चोरी और झुके-झुकेगुप्त न रह सकने वाले कार्य को गुप्त ढंग से करने का प्रयास करना
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोईबेशर्म आदमी पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता
ऊंट किस करवट बैठता हैपरिणाम मिलेंगे अनिश्चितता होना
ऊखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डरजब दृढ़ निश्चय कर लिया तो बाधाओं से क्या घबराना
ऊंट के मुंह में जीराआवश्यकता की नगण्य पूर्ति
ऊंची दुकान फीका पकवानवास्तविक से अधिक दिखावा। दिखावा ही दिखावा। केवल बाहरी दिखावा
ऊधो का न लेना, न मानो का देनाकिसी से कोई मतलब न रखना/सबसे अलग
उल्टे बांस बरेली कोविपरीत कार्य या आचरण करना
उल्टा चोर कोतवाल को डांटेअपना अपराध न मानना और पूछने वाले को ही दोषी ठहराना

एक तो करेला और दूसरा नीम चढ़ाएक साथ दो-दो दोष-प्रतिकूलतांए
एक पंथ दो काजएक प्रयत्न से दो काम हो जाना
एक म्यान में दो तलवारें नहीं आ सकतींएक ही स्थान पर दो समान वर्चस्व के प्रतिद्वंद्वी नहीं रह सकते
एक और एक ग्यारह होते हैंसंघ में बड़ी शक्ति है
एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देता हैएक बदनाम व्यक्ति अपने साथ के सभी लोगों को बदनाम करवा देता है
एक हाथ से ताली नहीं बजतीकेवल एकापक्षीय सक्रियता से कार्य पूरा नहीं होता
एक अनार सौ बीमारवस्तु की पूर्ति की तुलना में मांग अधिक

कही खेत की,सुनी खलियान कीकुछ का कुछ सुनना
कानी के ब्याह में कौतुक की कौतुककिसी दोष से मुक्त होने पर कठिनाईयां आता ही रहती है
ककड़ी-चोर को‌ फांसी की सजा नहीं दी जा सकतीसाधारण से अपराध के लिए बड़ा दण्ड उचित नहीं
काजी जी दुबले क्यों,शहर का अंदेशा हैदूसरों के कष्ट से चिंतित रहना
कागहि कहा कपूर छुड़ाए, स्वान न्हवाए गंगदुर्जन की प्रकृति खूब प्रचार करने पर भी नहीं बदलती
काज परै कछु और है, काज सरै कछु औरदुनिया बड़ी स्वार्थी है काम निकाल कर मुंह फेर लेते हैं
करले सो काम भजले सो रामएक निष्ठ होकर कर्म और भक्ति करना
कभी घी घना तो कभी मुट्ठी चनापरिस्थितियां सदा एक सी नहीं रहती
कौवा चला हंस की चाल भूल गया अपनी भी चालदूसरों के अधिकार अनुकरण से अपने रीति रिवाज भूल जाना
कोउ नृप होय हमें का हानिअपने काम से मतलब रखना
कहने पर कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ताकहने से जिद्दी व्यक्ति काम नहीं करता
काबुल में क्या गधे नहीं होतेमूर्ख सब जगह मिलते हैं
कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव परएक दूसरे के काम आना परिस्थितियों बदलती रहती है
कहीं की ईंट कहीं‌ का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ाअलग-अलग स्वभाव वालों को एक जगह एकत्र करना/इधर-उधर से सामग्री जुटा कर कोई निकृष्ट वस्तु का निर्माण करना
का वर्षा जब कृषि सुखानीअवसर बईत जाने पर साधन की प्राप्ति बेकार है
कोयले की दलाली में हाथ कालेबुरे काम का परिणाम भी बुरा होता है/दुष्टों की संगति से कलंकित होते हैं
कंगाली में आटा गीलासंकट पर संकट आना
काला अक्षर भैंस बराबरबिल्कुल निरक्षर होना
कागज की नाव नहीं चलतीबेईमानी से किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती

खिसियानी बिल्ली खंबा नोचेअसफलता से लज्जित होकर क्रोध करना
खरबूजें को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता हैएक को देखकर दूसरे में परिवर्तन आता है
खरी मजूरी चोखा कामपारिश्रमिक सही देने पर काम भी अच्छा होता है
खग जाने खग ही की भाषा सब अपने-अपने संपर्क के लोगों का हाल समझते है
खोदा पहाड़ और निकली चुहियाअधिक परिश्रम पर लाभ कम
खुदा गंजे को नाखून नहीं देताअनधिकारी एवं दुर्भावी व्यक्ति को अधिकार नहीं मिलता

गंगा का आना हुआ और भागीरथ को‌ यशकाम तो होना ही था, यश किसी को मिल गया
गुड़ न दे पर गुड़ की सी बात तो करेयदि किसी की मदद नहीं की जा सके तो कम से कम मधुर व्यवहार तो देना चाहिए
गागर में सागर भरनाथोड़े में बहुत कुछ कह देना
गुरु तो गुड़ रहे चेले शक्कर हो गयेचेले का गुरु से अधिक ज्ञानवान होना
गवाह चुस्त मुद्दई सुस्तस्वंय की अपेक्षा दूसरों का उसके लिए अधिक प्रयत्नशील होना
गुड़ खाएं और गुलगुलों से परहेज़झूठा ढोंग रचना
गांव का जोगी जोगड़ा,आन गांव का सिद्धअपने स्थान पर सम्मान नहीं होता
गरीब तेरे तीन नाम-झूठा,पापी,बेईमानगरीब पर ही सदैव दोष मढ़े जाते हैं निर्धनता सदैव अपमानित होती है
गुड़ दिये मरे तो जहर क्यों देप्रेम से कार्य हो जाये तो फिर दण्ड क्यों
गंगा गये गंगादास यमुना ग्रे यमुनादासअवसरवादी होना
गोद में छोरा शहर में ढिंढोरापास की वस्तु को दूर खोजना
गरजते बादल बरसते नहींकहने वाले (शोर मचाने वाले) कुछ करते नहीं
गुरू कीजै जान,पानी पीवै छानअच्छी तरह समझ बूझकर काम करना

घायल की गति घायल जानेजो कष्ट भोगता है वहीं दूसरे के कष्ट को समझ सकता है
घर खीर तो बाहर खीरघर में संपन्नता और सम्मान है तो बाहर के लोगों से भी यही मिल जाता है
घर‌ का न‌ घाट कान इधर का न उधर का, कहीं का नहीं
घर का जोगी जोगन, आन गांव का सिद्धविद्वान का अपने घर की अपेक्षा बाहर अधिक सम्मान/परिचित की प्रेक्षा अपरिचित का विशेष आदर
घर आये नाग न पूजै, बांबी पूजन जायअवसर का लाभ न उठाकर उसकी खोज में जाना
घर मै नहीं दाने बुढ़िया चली भुनानेझूठा दिखावा करना
घर बैठे गंगा आनाबिना प्रयत्न के लाभ,सफलता मिलना
घर की मुर्गी दाल बराबरअधिक परिचय से सम्मान कम/घरेलू साधनों का मूल्यहीन
घर का भेदी लंका ढाहेघरेलू शत्रु प्रबल होता है
घोड़ा घास से दोस्ती करें तो क्या खायेमजदूरी लेने में संकोच कैसा
घर-घर मिट्टी के चूल्हे हैंसबकी एक ही स्थिति का होना

चोर-चोर मौसेरे भाईदुष्ट लोग प्राय: एक जैसे होते हैं एक से स्वभाव वालें लोगों में मित्रता होना
चोर की दाढ़ी में तिनकाअपराधी का सशंकित होना अपराधी के कार्यों से दोष प्रकट हो जाता है
चोरी का माल मोरी मैंबुरी कमाई बुरे कार्यों में नष्ट होती है
चुपड़ी और दो-दोलाभ में लाभ होना
चील के घोंसले में मांस कहांभूखे के घर भोजन मिलना असम्भव होता है
चींटी के पर निकलनाबुरा समय आने से पूर्व बुद्धि का,नष्ट होना
चिरग तले अंधेरादूसरों को उपदेश देना स्वयं अज्ञान में रहना
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरतानिर्लज्ज पर किसी बात का असर‌ नहीं होता
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रातसुख का समय थोड़ा ही होता है
चंदन की चुटकी भली गाड़ीअचछी वस्तु तो थोड़ी भी भली
चलती का नाम गाड़ीकाम का चलते रहना/बनी बात के सब साथी होते हैं
चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाएबहुत कंजूस होना
चोरी और सीना जोरीअपराध भी करना और अकड़ना भी
चोर से कहें चोरी कर शाह से कहें जागता रहदोनों विरोधी पक्षों से संपर्क रखने की चालाकी
चंदन विष व्यापै नहीं लिपटे रहते भुजंगभले लोगों पर बुरों की संगती का असर नहीं पड़ता
चंद्रमा को भी ग्रहण लगता हैभले लोगों के भी बुरे दिन आ सकते हैं

छोटे मुंह बड़ी बातहैसियत से अधिक बातें करना
छछुंदर के सिर में चमेली का तेलअयोग्य व्यक्ति के पास अच्छी वस्तु होना

ज़

जादू वहीं जो सिर चढ़कर बोलेउपाय वही अच्छा जो कारगर हो
जो ताको कांटा बुवै ताहि बोर तू फूलअपना बुरा करने वालों के साथ भी भलाई का व्यवहार करो
जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठप्रयत्न करने वाले को सफलता/लाभ अवश्य मिलता है
जिसकी लाठी उसकी भैंसशक्तिशाली की विजय होती है
जिस थाली में खाते उसी में छेद करनाविश्वासघात करना। भलाई करने वाले का ही बुरा करना।कृतघ्न होना
जाको राखे साइयां मारि सकें न कोयईश्वर रक्षक हो तो फिर डर किसका,कोई कुछ नही‌ बिगाड़ सकता
जान बची और लाखों पायेप्राण सबसे प्रिय होते हैं
जाकी रही भावना जैसी,हरि मूरत देखी तिन तैसीभावनानुकूल(प्राप्ति का होना) औरों को देखना
जाके पैर न फटी बिवाई,सो क्या जाने पीर पराईजिसने कभी दुःख नहीं देखा वह दूसरों का दुःख क्या अनुभव करे
जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कविकवि दूर की बात सोचता है सीमातीत कल्पना करना
जहां मुर्गा नहीं बोलता वहां क्या सवेरा नहीं होताकिसी के बिना कोई काम नहीं रुकता कोई अपरिहार्य नहीं है
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसीमातृभूमि का महत्व स्वर्ग से भी बढ़कर है
जंगल में मोर नाचा किसने देखादूसरों के सामने उपस्थित होने पर ही गुणों की कद्र होती है गुणों का प्रदर्शन उपयुक्त स्थान पर
जब तक सांस तब तक आसजीवन पर्यन्त आशान्वित रहना
जल मे रहकर मगर से बैरबड़े आश्रयदाता से दुश्मनी ठीक नहीं
जहां काम आवै सुई का करै तलवारिछोटी वस्तु से जहां काम निकलता है वहां बड़ी वस्तु का उपयोग नहीं होता है
जो गुड़ खाएं सो कान छिदायलाभ पाने वाले को ही कष्ट उठाना पड़ता है
जैसा देश वैसा भेषस्थान एवं अवसर के अनुसार व्यवहार करना
जस दूल्हा तस बनी बराताजैसा मुखिया वैसे ही अन्य साथी
जिसकी लाठी उसकी भैंसशक्तिशाली की ही संपत्ति है

झूठ के पैर नहीं होतेझूठ अधिक दिन नहीं चल सकती
झकपट की घानी आधा तेल आधा पानीजल्दबाजी का काम खराब ही होता है
झूठ कहे सो लड्डू खाय सांच कहे सो मारा जायआजकल झूठे का बोल बाला है

टके के लिए मस्जिद तोड़नाछोटे से स्वार्थ के लिए बड़ा नुक़सान करना
टके का सौदा नौ टका विदाईसाधारण वस्तु हेतु खर्च अधिक
टेढ़ी उंगली किते बिना घी नहीं निकलतासीधेपन से काम नहीं निकलता
टके की हांडी गई पर कुत्ते की जात पहचान लीथोड़ा नुकसान उठाकर धोखेबाज को पहचानना

ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिलबाहर अपने से बलवान से अपमानित होकर घर के लोगों पर गुस्सा निकालना

डूबते को तिनके का सहारासंकट में थोड़ी सहायता भी लाभप्रद/पर्याप्त होती है

ढाक के तीन पातसदा एक सी स्थिति बने रहना
ढोल में पोलबड़े-बड़े भी अन्धेर करते हैं

तबेले की बला बंदर के सिरकिसी एक पर अन्य का दोष मंढ़‌ देना
तीन में न तेरह मेंजिसका कुछ भी महत्त्व न हो
तिनके की ओट में पहाड़छोटी चीज़ के पीछे बड़े रहस्य का छिपा होना
तुरंत दान महा कल्याणशुभ कार्य करते ही तुरंत अच्छा फल प्राप्त होना
तीन लोक से मथुरा न्यारीसबसे अलग विचार बनाते रखना
तीर नहीं तो तुक्का ही सहीपूरा नहीं तो जो कुछ मिल जाये उसी में संतोष करना
तू डाल-डाल मैं पात-पातचालाक से चालाकी से पेश आना एक से बढ़कर एक चालाक होना
तेल देखो तेल की धार देखोनया अनुभव करना धैर्य के साथ सोच समझ कर कार्य करो परिणाम की प्रतीक्षा करो। अभी क्या है, देखते जाओ
तेली का तेल जले मशालची का दिल जलेखर्च कोई करें बुरा किसी और को ही लगे
तेते पांव पसारिये देती लाम्बी सौरहैसियतानुसार खर्च करना/अपने सामर्थ्य के अनुसार ही कार्य करना
तन पर नहीं लत्ता पानी खाये अलबत्ताअभावग्रस्त होने पर भी ठाठ
से रहना /झूठा दिखावा करना
तीन बुलाए तेरह आयेअनिमन्त्रित व्यक्ति आना
तीन कनौजिये तेरह चूल्हेव्यर्थ की नुक्ता-चीनी करना ढोंग करना

थोथा चना बाजे घनाअकर्मण्य बात अधिक करता है
थोड़ी पूंजी धणी को खायअपर्याप्त पूंजी से व्यापार में घाटा होता है

दबी बिल्ली चूहों से भी कान कटवाती हैकिसी से दबा हुआ आदमी अपने से कमजोर लोगों के भी वश में रहता है
दान की बछिया के दांत नहीं गिने जातेमुफ्त में मिली वस्तु के बारे में क्या पसंद क्या ना पसंद
दाख पके तब काग के होय कंठ में रोगकिसी वस्तु का उपभोग करने की स्थिति में आने पर उसका उपभोग कर सकने में असमर्थ हो जाना
दाल में काला होनाकुछ संदेहास्पद बात होना
दीवारों के भी कान होते हैंगोपनीय बातचीत बहुत सावधानी से करनी चाहिए क्योंकि उसके औरों के ज्ञात हो जाने की संभावना बनी रहती है
दुधारू गाय की लात भी अच्छीजो व्यक्ति लाभकारी है उससे थोड़ा-बहुत नुकसान भी सहन कर लेना उचित है
दूध का दूध पानी का पानीसही सही न्याय करना
दमड़ी की हांडी भी ठोक बजाकर लेते हैंछोटी चीज को भी देखभाल कर लेते हैं
दाल भात में मूसल चंदकिसी के कार्य में व्यर्थ में दखल देना
दुविधा में दोनों ग्रे माया मिली न रामसंदेह की स्थिति में कुछ भी हाथ नहीं लगना
दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता हैएक बार धोखा खाया व्यक्ति दुबारा सावधानी बरतता है
दूर के ढोल सुहावने लगते हैंदूरवर्ती वस्तुएं अच्छी मालूम होती हैं दूर से ही वस्तु का अच्छा लगना पास आने पर वास्तविकता का पता लगना
दैव दैव आलसी पुकाराआलसी व्यक्ति भाग्यवादी होता है

धोबी का कुत्ता न घर का ना घाट काजो दो भिन्न पक्षों से जुड़ा रहता है वह कहीं का नहीं रहता

न ऊधो का लेना न मानो का देनाकिसी से कोई मतलब नहीं होना
नमाज़ छोड़ने गए रोज़े गले पड़ेएक छोटी समस्या से मुक्ति का प्रयास करने मैं बड़ी समस्या से घिरे जाना
न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगीऐसी अनहोनी शर्त रखना जो पूरी न हो सके/बहाने बनाना
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरीझगड़े को जड़ से ही नष्ट करना
नक्कार खाने में तूती की आवाजअराजकता में सुनवाई न होना बड़ों के समक्ष छोटों की कोई पूछ नहीं
न सावन सूखा न भादों हरासदैव एक सी तंग हालत रहना
नाच न जाने आंगन टेढ़ाअपना दोष दूसरों पर मढ़ना/अपनी अयोग्यता को छिपाने हेतु दूसरों में दोष ढूंढना
नाम बडे़ और दर्शन खोटेबड़ो में बड़प्पन न होना गुण कम किन्तु प्रशंसा अधिक
नीम हकीम खतरे जान,नीम मुल्ला खतरे ईमानअध कचरे ज्ञान वाला अनुभवहीन व्यक्ति अधिक हानिकारक होता है
नेकी और पूछ-पूछभलाई करने में भला पूछना क्या?
नेकी कर कुएं में डालभलाई कर भूल जाना चाहिये
नौ नगद,नतेरह उधारभविष्य की बड़ी आशा से तत्काल का थोड़ा लाभ अच्छा/व्यापार में उधार की अपेक्षा नगद को महत्व देना
नौ दिन चले अढ़ाई कोसबहुत धीमी गति से कार्य का होना
नौ सौ चूहे खाय बिल्ली हज को चलीबहुत पाप करके पश्चाताप करने का ढोंग करना

पांचों अंगुलियां घी में हैपूरी तरह से सम्पन्नता
पढ़े पर गुने नहींअनुभवहीन होना
पढ़े फारसी बेचे तेल,देखो यह विधा का खेलशिक्षित होते हुए भी दुर्भाग्य से निम्न कार्य करना
पराधीन सपनेहु सुख नाहींपरतंत्र व्यक्ति कभी सुखी नहीं होता
पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीसभी समान नहीं हो सकते
प्रभुता पाया काहि मद नाहींअधिकार प्राप्ति पर किसे गर्व नहीं होता
पानी में रहकर मगर से बैर करनाशक्तिशाली आश्रयदाता से वैर करना
प्यादे से फरजी भयो टेढ़ो-टेढ़ो जायछोटा आदमी बड़े पद पर पहुंचकर इतराकर चलता है

फटा मन और फटा दूध फिर नहीं मिलताएक बार मतभेद होने पर पुनः मेल नहीं हो सकता
फरा सो झरा,बरा सो बुतानाजो फला है सो झड़ेगा,जो जला है सो बुझेगा अर्थात सभी लोग अपने अंत को प्राप्त होते हैं
फिसल पड़े तो हर गंगाकाम बिगड़ जाने पर यह कहना कि यह तो किया ही ऐसे गया था

बासी बचे न कुत्ता खायजरूरत भर का काम करना
बाहर बरस में घूरे के दिन भी फिरते हैंकभी न कभी सबका भाग्योदय
बंदर क्या जाने अदरक का स्वादमूर्ख को गुण की परख न होना। अज्ञानी किसी के महत्त्व को आंख नहीं सकता
बद अच्छा, बदनाम बुराकलंकित होना बुरा होने से भी बुरा है
बकरे की मां कब तक खैर मनायेगीजब संकट आना ही है तो उससे अब तक बचा सकता है
बावन तोले पांव रत्तीबिल्कुल ठीक या सही सही होना
बाप न मारी मेंढकी बेटा तीरंदाजबहुत अधिक बातूनी या गप्पी होना
बांबी में हाथ तू डाल मंत्र मैं पढूंखतरे का कार्य दूसरों को सौंपकर स्वयं अलग रहना
बापू भला न भैया, सबसे बड़ा रुपयाआजकल पैसा ही सब कुछ है
बिल्ली के भाग छींका टूकनासंयोग से किसी कार्य का अच्छा होना/अनायास अप्रत्याशित वस्तु की प्राप्ति होना
बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीखभाग्य से स्वत:मिलता है इच्छा से नहीं
बिना रोए‌मां भी दूध नहीं पिलातीप्रयत्न के बिना कोई कार्य नहीं होता
बैठे से बेगार भलीखाली बैठे‌ रहने से तो किसी का कुछ काम करना अच्छा
बोया पेड़ बबूला का आम कहां से खाएबुरे कर्म कर अच्छे फल की इच्छा करना व्यर्थ है

भेड़ की ऊन कोई नहीं छोड़ताजो कमजोर है उसका हर कोई शोषण कर लेता है
भेड़ की लात घुटनों तककमजोर आदमी किसी का अधिक नुकसान नहीं कर सकता
भई गति सांप छछूंदर जैसीदुविधा में पड़ना
भूल गये राग रंग
भूल गये जकड़ी तीन चीज
याद रही नोन,तेल, लकड़ी
गृहस्थी के जंजाल में फंसना
भूखे भजन न होय गोपालभूख लगने पर कुछ भी अच्छा नहीं लगता
भागते भूत की लंगोट भलीहाथ पड़े सोई लेना जो बच जाए उसी से संतुष्टि/कुछ नहीं से जो कुछ भी मिल जाए वह अच्छा
भैंस के आगे बीन बजाने भैंस खड़ी पगुरायमूर्ख को उपदेश देना व्यर्थ है

मन की मन में रह जानाइच्छा पूरी न होना
मन के लड्डुओं से पेट नहीं भरताकेवल कल्पना कर लेने से तृप्ति नहीं होती
मुल्ला की दौड़ मस्ज़िद तकसीमित सामर्थ्य होना
मुद्दई सुस्त गवाह चुस्तजिसका काम हो वह तो निष्क्रय हो और उसके मददगार सक्रिय हों
मन चंगा तो कटौती में गंगामन पवित्र तो घर में तीर्थ है
मरता क्या न करतामुसीबत में ग़लत कार्य करने को भी तैयार होना पड़ता है
मानो तो देव नहीं तो पत्थरविश्वास फलदायक होता है
मान न मान मैं तेरा मेहमानजबरदस्ती गले पड़ना
मार के आगे भूत भागता हैदण्ड से सभी भयभीत होते हैं
मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजीयदि आपस में प्रेम है तो तीसरा क्या कर सकता है?
मुख में राम बगल में छुरीऊपर से मित्रता अन्दर शत्रुता धोखेबाजी करना
मेरी बिल्ली मुझ से ही म्याऊंआश्रयदाता का ही विरोध करधा
मेंढ़की को जुकाम होनानीच आदमी द्वारा नखरे करना
मन के सारे हार है मन के जीते जीतसाहस बनाते रखना आवश्यक है हतोत्साहित होने पर असफलता वो उत्साहपूर्वक कार्य करने से जीत होती है
मुक्त का चंदन,घिस मेरे नंदनमुफ्त में मिली वस्तु का दुरुपयोग करना

यथा राजा तथा प्रजाजैसा स्वामी वैसा सेवक
यथा नाम तथा गुणनाम के अनुसार गुण का होना
यह मुंह और मसूर की दालयोग्यता से अधिक पाने की इच्छा करना

रस्सी जल गई पर ऐंठ न गईसर्वनाश होने पर भी घमंड बने रहना/टेक न छोड़ना
रंग में भंग पड़नाआनन्द में बांधा उत्पन्न होना
राम नाम जपना,पराया माल अपनामक्कारी करधा
रोग का घर खांसी, झगड़े का घर हांसीहंसी मजाक झगड़े का कारण बन जाती है
रोज कुआ खोदना रोज़ पानी पीनाप्रतिदिन कमाकर खना रोज कमाना रोज का जाना

लिखित सुधाकर(चंद्रमा) लिखिगा राहूकोई अच्छी उपलब्धि के योग्य हो किंतु दुर्योग से परिणाम बुरा भोगना पड़े
लिखे ईसा पढ़ें मूसान पढ़ने योग्य लिखावट
लकड़ी के बल बन्दरी नाचेभयवश ही कार्य संभव है
लम्बा टीका मधुरी बानी दगेबाजी की यही निशानीपाखण्डी हमेशा दगाबाज होते हैं
लातों के भूत बातों से नहीं मानतेनीच व्यक्ति दण्ड से/भय से कार्य करते हैं कहने से नहीं
लोहे को लोहा ही‌ काटता हैबुराई को बुराई से ही जीता जाता है

वक्त पड़े जब जानिये को बैरी को मीतविपत्ति/अवसर पर ही शत्रु वश मित्र की पहचान होती है
विधिकर लिखा को मेटनहाराभाग्य को कोई बदल नहीं सकता
विनाश काले विपरीत बुद्धिविपत्ति आने पर बुद्धि भी नष्ट हो जाती है
विष दे पर विश्वास न देकिसी को स्पष्ट कहकर उसका बुरा कर दीजिए किन्तु विश्वासघात मत कीजिए

शबरी के बेरप्रेममय तुच्छ भेंट
शक्कर खोर को शक्कर मिल ही जाती हैजरूरतमंद को उसकी वस्तु सुलभ हो ही जाती है
शठे नाट्य समाचरेतदुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना चाहिए

सौ मन चूहे खा बिल्ली हज को चलीजीवन भर कुकर्म करने के बाद अंत समय में सुकर्म करना
सहज पके सो मीठा होयसमुचित समय लेकर किया जानेवाला कार्य अच्छा हौता है
समय चूकि पुन का पछितानेअवसर बीत जाने पर फिर पछताने से क्या होता है
साझे की हांड़ी चौराहे पर फूटती हैसाझेदारी जब समाप्त होती है तो सबके सामने उजागर होती है
सांच को आंच नहींसच्चा व्यक्ति कभी डरता नहीं
सब धान बाईस पंसेरीअविवेकी लोगों की‌ दृष्टि में गुणी और मूर्ख सभी व्यक्ति बराबर होते हैं
सब दिन होता न एक समानजीवन में सुख-दु:ख आते रहते हैं, क्योंकि समय परिवर्तनशील होता है
सैइयां भये कोतवाल अब काहे का डरअपनों के उच्च पद पर होने से बुरे कार्य से हिच करना
समरथ को नहीं दोष गुसाईंगलती होने पर भी सामर्थ्यवान को कोई कुछ नहीं कहता
सावन सूखा न भादों हरासदैव एक सी स्थिति बने रहना
सांप मर जाये और लाठी न टूटेसुविधापूर्वक कार्य होना/बिना हानि के कार्य का बन जाना
सावन के अंधे को हरा सी हरा सूझता हैअपने समान सभी को समझना
सीधी अंगुली घी नहीं निकलतासीधेपन से कोई कार्य नहीं होता
सिर मुंडाते ही ओले पड़नाकार्य प्रारम्भ करते ही बाधा उत्पन्न होना
सोने में सुगन्धअच्छे में और अच्छा
सौ सुनार की एक लुहार कीसैंकड़ों छोटे उपायों से एक बड़ा उपाय अच्छा
सूप बोले तो बोले छलनी भी बोलेदोषी का बोलना ठीक नहीं

हजारों टांकियां सहकर महादेव बनते हैंकष्ट सहन करने से ही सम्मान मिलता है
हथेली पर सरसों नहीं उगतीप्रत्येक कार्य बिना एक प्रक्रिया और समय के पूर्ण नहीं होता
हाथ कंगन को आरसी क्याप्रत्यक्ष को प्रमाण क्या?
हाथी की दांत दिखाने के और,खाने के और होते हैंकथनी और करनी में अंतर
होनहार बिरवान के होते चीखने पातपूत के पांव तो पलने में ही दिख जाते हैं
हथेली पर दही नहीं जमताहर कार्य के होने में समय लगता है
हल्दी लगे न फिटकरी रंग चोखा आ जायआसानी से काम बन जाना कम खर्च में अच्छा कार्य
हाथ सुमरिनी बगल कतरनीकपटपूर्ण व्यवहार करना

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